हरियाणा में बीए की दो लड़कियों को आपस में हुआ प्यार, अब कोर्ट ने समलैगिंक जोड़े को दी ये अनुमति
हरियाणा के करनाल के जिला सत्र एवं न्यायाधीश चंद्रशेखर ने एक समलैंगिक जोड़े को लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की आज्ञा दे दी है और साथ ही उन्हें पुलिस प्रोटेक्शन के साथ सेफ हाउस भिजवा दिया है। बता दें कि दोनों युवतियों में से एक की आगामी 26 फरवरी को शादी होनी थी। शादी से ठीक 10 दिन पहले यानी 17 फरवरी को दोनों युवतियां वकील मुकेश गर्ग से मिली और अपनी स्टोरी बताई। जिसके बाद वकील ने तुरंत उसी दिन जिला सत्र एवं न्यायाधीश की अदालत में पुलिस प्रोटेक्शन की याचिका लगाई और उसी दिन ही युवतियों न्यायाधीश ने प्रोटेक्शन देकर सेफ हाउस भेज दिया है।
एडवोकेट मुकेश गर्ग ने बताया कि दोनों युवतियां उनके पास 17 फरवरी को पहुंची थी और उन्होंने बताया कि करीब दो साल पहले उनकी आपस में पहचान फेसबुक के माध्यम से हुई थी। करनाल क्षेत्र की 22 वर्षीय युवती अभी बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही है और दूसरी 23 वर्षीय युवती पानीपत के मतलौडा क्षेत्र की है। जो बीए की प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के बाद करनाल के एक निजी फास्ट फूड रेस्टोरेंट में कार्य करती है।
पानीपत निवासी युवती का था घर में आना जाना
बताया जा रहा है कि दो साल पहले फेसबुक से जान-पहचान होने के बाद पानीपत निवासी 23 वर्षीय युवती का करनाल निवासी 22 वर्षीय युवती के घर पर आना-जाना हो गया था। वह घर पर युवती से मिलने के लिए जाती थी और कई-कई घंटे उसी के साथ रहती थी। ऐसे में दोनों युवतियां होने के चलते परिजनों को किसी भी तरह का उन पर शक नहीं हुआ।
शादी तय होने पर बनाया भागने का प्लान
युवतियों ने जैसा वकील को बताया, जब करनाल की युवती की शादी परिजनों ने जींद में तय कर दी तो उन्होंने एक-दूसरे से अलग होने का डर सताने लगा और जैसे वह पहले एक-दूसरे के घर आकर मिल लिया करती थी अब वो नहीं होने का डर लगने लगा था लेकिन वे दोनों एक-दूसरे को पसंद करती थी और एक साथ ही रहना चाहती थी। शादी तय होने के बाद ही उन्होंने घर से भागने और प्रोटेक्शन लेने का प्लान बनाया।
परिजनों की मौजदूगी में जज ने दी प्रोटेक्शन
दोनों लड़कियों के घर से फरार होने और उन्हें करनाल कोर्ट में जाने की सूचना मिली तो दोनों के परिजन मौके पर पहुंच गए और दोनों को बहुत समझाया लेकिन दोनों एक-दूसरे के साथ रहने का मन बना चुकी थी। जिसके बाद वकील ने दोनों युवतियों को अपने-अपने परिवार से जान का खतरा बताकर जिला एवं सत्र न्यायाधीश से प्रोटेक्शन की मांग की और उन्हें कुछ बातचीत करने के बाद प्रोटेक्शन दे दी गई।